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महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह की रिहाई की मांग तेज

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पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह की रिहाई की मांग इन दिनों बिहार में बड़ा जन आंदोलन बन चुकी है। राज्य के सारण, सीवान, गोपालगंज, मोतिहारी, बेतिया, शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा सहित कई जिलों में समर्थकों ने पैदल मार्च एवं हस्ताक्षर अभियान जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करके अपनी आवाज बुलंद की है। समर्थकों का कहना है कि प्रभुनाथ सिंह ने अपने कार्यकाल में न सिर्फ महाराजगंज बल्कि पूरे बिहार के कमजोर, वंचित तबकों के हक में लगातार संघर्ष किया। उनका आरोप है कि राजनीतिक साजिश के तहत उन्हें सजा दिलाई गई है और अब उनकी उम्र और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सरकार को मानवीय आधार पर उनकी रिहाई पर तुरंत फैसला लेना चाहिए। बनियापुर के खाकी मठिया बाजार, मशरक, जलालपुर, भगवानपुर हाट, अमनौर सहित कई स्थानों पर समर्थकों ने बैनर-तख्ती लेकर ‘प्रभुनाथ सिंह को रिहा करो’ के नारे लगाए और पैदल मार्च किया। चार किलोमीटर तक आयोजित इस मार्च में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया। इन आयोजनों में पूर्व और वर्तमान जनप्रतिनिधि, पंचायत प्रतिनिधि, शिक्षक, छात्र और बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। इस बीच, समर्थकों ने हस्ताक्षर अभियान शुरू किया ह...

महाराजगंज: मौनिया बाबा राजकीय महावीरी झंडा मेले में अखाड़ा जुलूस संपन्न, 32 अखाड़ों ने दिखाया शौर्य

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उत्तर बिहार का प्रसिद्ध मौनिया बाबा राजकीय महावीरी झंडा मेला इस वर्ष भी पूरे उत्साह और पारंपरिक गरिमा के साथ संपन्न हुआ। शुक्रवार की रात और शनिवार को दोपहर तक आयोजित अखाड़ा जुलूस ने पूरे शहर को धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव में बदल दिया। हर धर्म-संप्रदाय के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी और पूरा मेला क्षेत्र नगाड़ों, जयघोष और नारों से गूंज उठा। अखाड़ा में करतब दिखाता युवक पारंपरिक रौनक और अखाड़ों का प्रदर्शन शनिवार दोपहर जैसे ही सड़कों पर अखाड़ों का प्रदर्शन शुरू हुआ, लोगों में उत्साह चरम पर पहुंच गया। युवाओं ने लाठी-डंडों और पारंपरिक शस्त्रों से अद्भुत करतब दिखाकर दर्शकों का मन मोह लिया। जुलूस में सबसे आगे बजरंगबली की प्रतिमा रही, जबकि नागा जी मठ के महावीर जी का सिंहासन जब राजेंद्र चौक स्थित मेला नियंत्रण कक्ष के सामने पहुंचा, तो मौजूद अधिकारियों ने खड़े होकर अभिनंदन किया। मौके पर उपस्थित सांसद ने मेले को राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक बताते हुए औपचारिक समापन की घोषणा की। हनुमान जी की झांकी भागीदारी और मार्ग इस बार मेले में कुल 32 अखाड़ों ने शिरकत की। महाराजगंज शहरी और ग्रामी...

डॉ. देव रंजन: एक चिकित्सक से विधायक तक की सफर...

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महाराजगंज, सिवान का एक छोटा सा शहर, जहां खेतों की हरियाली और लोगों की सादगी के बीच एक नाम गूंजता था—डॉ. देव रंजन सिंह। उनकी कहानी केवल एक चिकित्सक या राजनेता की नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स की है, जिसने अपने काम और जुनून से इलाके के लोगों के दिलों में जगह बनाई। डॉ. देव रंजन का जन्म सिवान के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता, श्यामदेव सिंह, एक साधारण किसान थे, जो मेहनत और ईमानदारी की मिसाल थे। बचपन से ही देव रंजन में कुछ कर गुजरने की चाह थी। उन्होंने 1987 में दरभंगा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और 1993 में पटना मेडिकल कॉलेज से एमडी की डिग्री हासिल की। डॉक्टर बनने के बाद उन्होंने सिवान में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। उनकी क्लिनिक, जो बाद में एक निजी अस्पताल, एकावली श्याम हॉस्पिटल, के रूप में जानी गई, गरीबों के लिए आशा का केंद्र बन गई। मरीजों के लिए उनकी सहानुभूति और सस्ती चिकित्सा ने उन्हें स्थानीय लोगों का चहेता बना दिया। लेकिन देव रंजन का मन केवल चिकित्सा तक सीमित नहीं था। वह देखते थे कि महाराजगंज में बुनियादी सुविधाओं की कमी—खराब सड़कें, बिजली की अनियमितता, और बेरोजगारी—लोगों की जिंदगी क...

112- महाराजगंज विधानसभा में राजनीतिक दलों का प्रभाव: एक कहानी

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एक छोटे से गाँव में, सिवान जिले के महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र में, रहता था रामलाल। वह एक साधारण किसान था, जिसकी जिंदगी खेतों, मौसम और राजनीति के उतार-चढ़ाव से जुड़ी हुई थी। महाराजगंज, जो बिहार की राजनीतिक पटकथा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, यहां दलों की बदलती सत्ता ने लोगों की जिंदगी को कई रंग दिए—कभी विकास की चमक, कभी संघर्ष की छाया। रामलाल की कहानी इसी प्रभाव की गवाह है। बात 1970 के दशक की है। तब जनता पार्टी (JNP) का दौर था। उमाशंकर सिंह जैसे नेता, जो JNP से कई बार जीते, ने इलाके में एक नई उम्मीद जगाई। रामलाल तब युवा था। JNP की जीत के बाद, गाँव में कुछ सड़कें बनीं, सिंचाई की व्यवस्था सुधरी। लेकिन सबसे बड़ा प्रभाव था सामाजिक न्याय का। ऊंची जातियों के दबदबे में दबे पिछड़े वर्गों को आवाज मिली। रामलाल याद करता है, "उस समय पार्टी ने हमें बताया कि हमारी जमीन हमारी है, कोई हमें दबा नहीं सकता।" हालांकि, पार्टी की अंदरूनी कलह ने विकास को धीमा कर दिया, और गाँव में बिजली का इंतजार लंबा खिंच गया। 1980 और 1990 के दशक में उमाशंकर सिंह का प्रभाव जारी रहा, कभी JNP(JP), कभी जनता दल (JD)...

महाराजगंज, सिवान: एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर की कहानी

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महाराजगंज, सिवान जिले का एक छोटा सा कस्बा, जो बिहार के इतिहास और संस्कृति का एक अनमोल रत्न है। यह न केवल अपने ऐतिहासिक महत्व और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के लिए जाना जाता है, बल्कि मौनिया बाबा मेले जैसे सांस्कृतिक आयोजनों और प्राचीन मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है। यह कहानी महाराजगंज की गौरवशाली गाथा को बयां करती है, जो एक साधारण कस्बे से लेकर स्वतंत्रता संग्राम के नायकों और आध्यात्मिक केंद्र तक की यात्रा को दर्शाती है। महाराजगंज का उद्गम: एक राजसी नाम महाराजगंज का नाम सुनते ही एक राजसी ठाठ-बाठ का अहसास होता है। इतिहासकारों का मानना है कि इसका नाम यहां शासन करने वाले किसी महाराजा के नाम पर पड़ा। कुछ कथाओं के अनुसार, यह क्षेत्र बांध राजा शिवा मान के वंशजों के अधीन था, जिनके शासनकाल ने इस क्षेत्र को समृद्धि और सांस्कृतिक वैभव प्रदान किया। सिवान का यह हिस्सा, जो कभी बनारस साम्राज्य का हिस्सा था, बाद में मुगलों, डचों और अंग्रेजों के ...